पुरुष पर कविता, पुरूष... जिसके लिए बहुत कम लिखा गया है | purush par kavita | Hindi Poem on Man

purush par kavita
Poem on Mard

पुरुष पर कविता | Mard Par Kavita | Hindi Poem on Man

पुरूष... 

जिसके लिए बहुत कम लिखा गया है..

सारा प्रेम, सौंदर्य, साहित्य, 

आ गया स्त्रियों के हिस्से।

शायद इसलिए ही क्योंकि 

पुरूषो ने स्वयं को महत्व नही दिया,

अपने से बहुत ऊपर रखा अपनी प्रेयसी को।

सच भी यही है...

जब पुरूष अथाह प्रेम मे होता है,

वो शब्दों से नही जता पाता प्रेम को अपने, 

स्त्रियों के पास प्रेम कहने के लिए 

शब्दों के भंडार होते है।

पुरूष शब्दों से परे, 

अपनी प्रेयसी के लिए संसार के 

तमाम सुख इकट्ठा करने की चाह रखता है

वो सपने देखने लगता है के वो किस तरह 

अपनी प्रेयसी को एक सबसे सुखद और 

खुशहाल रानी बनाए रखे ताउम्र।

वो नही कह पाता वो सब, जो वो कर देता है..    

पुरूष को जताना नही आता, 

शायद वो अपने प्रेम के लिए किए गये 

प्रयासो को दिमाग मे ही नहीं रखता,

वो उन्हे अपना दायित्व मानकर 

बस पूरा करता चला जाता है 

अपनी प्रेयसी की एक सुखद मुस्कान पाने के लिए।

पुरूष पूरे संसार के लिए 

बहुत ज्यादा मजबूत सख्त बनकर रहेगा..

लेकिन अगर वो एक बच्चे के जैसा बनता है,

तो केवल अपनी प्रेयसी की गोद मे सिर रखकर।

बहुत कोमल ह्रदय होता है पुरूष का ,

जब उसे अथाह प्रेम लुटाने वाली स्त्री मिल जाती है 

तब वो शिशु की भाति छुपा लेता है खुद को 

उसकी गोद मे और भूल जाना चाहता है सबकुछ,

बहुत भागयशाली होती है हैं वो स्त्रियाँ 

जिनके लिए उनका प्रेमी आँखो मे पानी ले आता है।

यहाँ केवल सच्चे ईमानदार पुरुषों की बात हो रही है..

जो नायक है प्रेम ग्रंथो के जिनके लिए 

लिखा जाना चाहिए एक अमर साहित्य..

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मर्द पर कविता / purush par kavita, Poem on Mard

purush... 

jisake liye bahut kam likha gaya hai..

 saara prem, saundary, saahity, 

aa gaya striyon ke hisse. 

shaayad isaliye hi kyonki 

purusho ne svayam ko mahatv nahi diya,

 apane se bahut upar rakha apani preyasi ko. 

sach bhi yahi hai... 

jab purush athaah prem me hota hai, 

vo shabdon se nahi jata paata prem ko apane, 

striyon ke paas prem kahane ke liye 

shabdon ke bhandaar hote hai. 

purush shabdon se pare, 

apani preyasi ke liye sansaar ke 

tamaam sukh ikattha karane ki chaah rakhata hai 

vo sapane dekhane lagata hai ke vo kis tarah 

apani preyasi ko ek sabase sukhad aur 

khushahaal raani banaye rakhe taumr. 

vo nahi kah paata vo sab, 

jo vo kar deta hai.. 

purush ko jataana nahi aata, 

shaayad vo apane prem ke liye 

kiye gaye 

prayaaso ko dimaag me hi nahin rakhata, 

vo unhe apana daayitv maanakar 

bas pura karata chala jaata hai 

apani preyasi ki 

ek sukhad muskaan paane ke liye. 

purush pure sansaar ke liye 

bahut jyaada majaboot sakht banakar rahega.. 

lekin agar vo ek bachche ke jaisa banata hai, 

to keval apani preyasi ki god me sir rakhakar. 

bahut komal hriaday hota hai purush ka , 

jab use athaah prem lutaane vaali stree mil jaatee hai 

tab vo shishu ki bhaati 

chhupa leta hai khud ko usakee god me 

aur bhul jaana chaahata hai sabakuchh,

 bahut bhaagayashaali hoti hai hain vo striyaan 

jinake liye unaka premi aankho me paani le aata hai. 

yahaan keval sachche imaanadaar 

purushon ki baat ho rahi hai.. 

jo naayak hai prem grantho ke 

jinake liye likha jaana chaahiye ek amar saahity..

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