क़ैफ भोपाली के 10 मशहूर शेर (kaif bhopali top 10 sher)
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Kaif Bhopali Shayari in hindi |
“
Sher in hindi
इधर आ रक़ीब मेरे मैं तुझे गले लगा लूं,
मेरा इश्क़ बेमज़ा था तेरी दुश्मनी से पहले।
Sher in hinglish
idhar aa raqeeb mere main tujhe gale laga loon,
mera ishq bemaza tha teri dushmani se pahale.
”
“
इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली,
जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले।
ik naya zakhm mila ek nai umr mili,
jab kisi shahar mein kuchh yaar puraane se mile.
”
“
'कैफ़' परदेस में मत याद करो अपना मकां,
अब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा।
kaif parades mein mat yaad karo apana makaan,
ab ke baarish ne use tod giraaya hoga.
”
“
आग का क्या है पल दो पल में लगती है,
बुझते बुझते एक ज़माना लगता है।
aag ka kya hai pal do pal mein lagati hai,
bujhate bujhate ek zamaana lagata hai.
”
“
'कैफ़' पैदा कर समुंदर की तरह,
वुसअतें ख़ामोशियाँ गहराइयाँ।
kaif paida kar samundar ki tarah,
vusaten khamoshiyan gaharaiyan.
”
“
कौन आएगा यहां कोई न आया होगा,
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा।
kaun aayega yahan koi na aaya hoga,
mera daravaaza havaon ne hilaaya hoga.
”
“
तेरी लटों में सो लेते थे बे-घर आशिक़ बे-घर लोग,
बूढ़े बरगद आज तुझे भी काट गिराया लोगों ने।
teri laton mein so lete the be-ghar aashiq be-ghar log,
boodhe baragad aaj tujhe bhi kaat giraaya logon ne.
”
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Kaif Bhopali Shayari |
“
माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज,
हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले।
maa ki aagosh mein kal maut ki aagosh mein aaj,
ham ko duniya mein ye do vaqt suhaane se mile.
”
“
दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले,
हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले।
daag duniya ne diye zakhm zamaane se mile,
ham ko tohafe ye tumhen dost banaane se mile.
”
“
गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो,
आंधियों तुमने दरख़्तों को गिराया होगा।
gul se lipati huee titali ko gira kar dekho,
aandhiyon tumane darakhton ko giraaya hoga.
”
“
झूम के जब रिंदों ने पिला दी,
शैख़ ने चुपके चुपके दुआ दी
एक कमी थी ताजमहल में,
मैंने तेरी तस्वीर लगा दी।
jhoom ke jab rindon ne pila di,
shaikh ne chupake chupake dua di
ek kami thi taajamahal mein,
mainne teri tasveer laga di.
”
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1. हम को दीवाना जान के
हम को दीवाना जान के क्या क्या जुल्म न ढाया लोगों ने
दीन छुड़ाया धर्म छुड़ाया देस छुड़ाया लोगो नें,
तेरी गली में आ निकले थे दोश हमारा इतना था
पत्थर मारे तोहमत बाँधी ऐब लगाया लोगों ने,
तेरी लटों में सो लेते थे बे-घर आशिक बे-घर लोग
बूढ़े बरगद आज तुझे भी काट गिराया लोगों ने,
नूर-ए-सहर ने निकहत-ए-गुल ने रंग-ए-शफक ने कह दी बात
कितना कितना मेरी ज़बाँ पर कुफ्ल लगाया लोगों ने,
मीर, तकी के रंग का गाज़ा रू-ए-ग़जल पर आ न सका
‘कैफ’ हमारे "मीर तकी" का रंग उड़ाया लोगों ने।
2. कौन आएगा यहाँ
कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा
मेरा दरवाजा हवाओं ने हिलाया होगा,
दिल-ए-नादाँ न धड़क ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क
कोई ख़त ले के पड़ौसी के घर आया होगा,
इस गुलिस्ताँ की यही रीत है ऐ शाख़-ए-गुल
तू ने जिस फूल को पाला वो पराया होगा,
दिल की किस्मत ही में लिखा था अँधेरा शायद
वरना मस्जिद का दिया किस ने बुझाया होगा,
गुल से लिपटी हुई तितली हो गिरा कर देखो
आँधियों तुम ने दरख़्तों को गिराया होगा,
खेलने के लिए बच्चे निकल आए होंगे
चाँद अब उस की गली में उतर आया होगा,
‘कैफ’ परदेस में मत याद करो अपना मकाँ
अब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा।
3. कुटिया में कौन आएगा
कुटिया में कौन आएगा इस तीरगी के साथ
अब ये किवाड़ बंद करो खामुशी के साथ,
साया है कम खजूर के ऊँचे दरख़्त का
उम्मीद बाँधिए न बड़े आदमी के साथ,
चलते हैं बच के शैख ओ बरहमन के साए से
अपना यही अमल है बुरे आदमी के साथ,
शाइस्तगान-ए-शहर मुझे ख़्वाह कुछ कहें
सड़कों का हुस्न है मेरी आवारगी के साथ,
शायर हिकायतें न सुना वस्ल ओ इश्क की
इतना बड़ा मजाक न कर शाएरी के साथ,
लिखता है गम की बात मर्सरत के मूड में
मख़्सूस है ये तर्ज़ फकत ‘कैफ’ ही के साथ।
4. तेरा चेहरा सुब्ह का तारा लगता है
तेरा चेहरा सुब्ह का तारा लगता है
सुब्ह का तारा कितना प्यारा लगता है,
तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है
तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है,
रात हमारे साथ तू जागा करता है
चाँद बता तू कौन हमारा लगता है,
किस को खबर ये कितनी कयामत ढाता है
ये लड़का जो इतना बेचारा लगता है,
तितली चमन में फूल से लिपटी रहती है
फिर भी चमन में फूल कँवारा लगता है,
कैफ, वो कल का ‘कैफ’ कहाँ है, आज मियाँ
ये तो कोई वक्त का मारा लगता है।
5. तुम से न मिल के खुश हैं
तुम से न मिल के खुश हैं वो दावा किधर गया
दो रोज़ में गुलाब सा चेहरा उतर गया,
जान-ए-बहार तुम ने वो काँटे चुभोये हैं
मैं हर गुल-ए-शगुफ्ता को छूने से डर गया,
इस दिल के टूटने का मुझे कोई गम नहीं
अच्छा हुआ के पाप कटा दर्द-ए-सर गया,
मैं भी समझ रहा हूँ के तुम तुम नहीं रहे
तुम भी ये सोच लो के मेरा "कैफ" मर गया।
6. ये दाढ़ियाँ ये तिलक धारियाँ नहीं चलती
ये दाढ़ियाँ ये तिलक धारियाँ नहीं चलती
हमारे अहद में मक्कारियाँ नहीं चलती,
कबीले वालों के दिल जोड़िये मेरे सरदार
सरों को काट के सरदारियाँ नहीं चलतीं,
बुरा न मान अगर यार कुछ बुरा कह दे
दिलों के खेल में खुद्दारियाँ नहीं चलती,
छलक छलक पड़ी आँखों की गागरें अक्सर
सँभल सँभल के ये पनहारियाँ नहीं चलती,
जनाब-ए- कैफ, ये दिल्ली है ‘मीर’ ओ "गालिब" की
यहाँ किसी की तरफ-दारियाँ नहीं चलती।
7. तुझे कौन जानता था मेरी दोस्ती से पहले
तुझे कौन जानता था मेरी दोस्ती से पहले
तेरा हुस्न कुछ नहीं था मेरी शायरी से पहले,
इधर आ रक़ीब मेरे मैं तुझे गले लगा लूँ
मेरा इश्क़ बे-मज़ा था तेरी दुश्मनी से पहले,
कई इंक़िलाब आए कई ख़ुश-ख़िराब गुज़रे
न उठी मगर क़यामत तेरी कमसिनी से पहले,
मेरी सुब्ह के सितारे तुझे ढूँढती हैं आँखें
कहीं रात डस न जाए तेरी रौशनी से पहले।
9. तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है,
तिरछे तिरछे तीर नज़र के लगते हैं
सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता है,
आग का क्या है पल दो पल में लगती है
बुझते बुझते एक ज़माना लगता है,
पाँव ना बाँधा पंछी का पर बाँधा
आज का बच्चा कितना सयाना लगता है,
सच तो ये है फूल का दिल भी छलनी है
हँसता चेहरा एक बहाना लगता है,
सुनने वाले घंटों सुनते रहते हैं
मेरा फसाना सब का फसाना लगता है,
"कैफ" बता क्या तेरी गज़ल में जादू है
बच्चा बच्चा तेरा दिवाना लगता है