12 बेहतरीन मोटिवेशनल कविताएँ | TOP Motivational Poem in Hindi

TOP 12 Motivational Poem in Hindi : नमस्कार दोस्तों- परिस्थितियां हमारे जीवन और सोच दोनों पर प्रभाव डालती हैं। और अक्सर हमें कुछ गलत निर्णय के कारण विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है,

जिसके चलते हमारी सोच नकारात्मक होने लगती है, और मन में निराशा के भाव उत्पन्न होने लगते हैं। ऐसी परिस्थिति में संयम, आत्मविश्वास और प्रेरणा की जरूरत होती है, जिससे हम अपने जीवन को उत्साह और उमंग से जीने को अग्रसर हो जायें

 आज के इस लेख में हम कुछ बेहतरीन मोटिवेशनल कविताएं लेकर आए हैं जो शायद आप लोगों को पसंद भी आएंगी और आपका उत्साह भी बढ़ाएंगी Best motivational poem hindi, inspirational poems in hindi

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TOP Motivational Poem in Hindi  | 12 बेस्ट मोटिवेशनल कवितायें 

This TOP Motivational Poem in Hindi has been written by famous authors. Great poets have written some inspirational poems for us. Reading which instills in us the spirit to move forward. Because some inspirational words are written in these poems. Due to which one gets the power to come out of despair.

Friends, in the current times, most of the people are engaged in making themselves the best and degrading others. There are very few people. Those who think of others for success and progress.

Now let's find some inspirational poems given below. Let's read it. We hope that you will like all these Motivated Poems in Hindi. Also share this inspirational poems in hindi with your friends on social media.

1. कोशिश करने वालों की हार नहीं होती  | Best Inspirational Poems in Hindi

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।


नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है

चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है,

मन का विश्वास रगों में साहस भरता है

चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है,

आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।


डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है

जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है,

मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में

बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में,

मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।


असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो

क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो,

जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम

संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम,

कुछ किये बिना ही जय-जय कार नहीं होती

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।

     - हरिवंशराय बच्चन -

There are some people in the world who want to achieve success in their life, but do not try or work hard for it. Such people never get success.

Because a wise person has explained through his poetry that if one tries to achieve his goal with a true heart, then a person can easily overcome even the most difficult path and can achieve success in his life, because Those who try never lose.

On the other hand, the poet, through his poem, has tried to explain to the person by giving an example of a small ant, that the way an ant climbs the walls with its grain and moves forward with confidence in spite of slipping again and again, its destination Similarly, everyone can fulfill their dreams if they try in the right way to achieve their goals.

2. तुम मन की आवाज सुनो | Motivational Poem Hindi

तुम मन की आवाज सुनो

जिंदा हो, ना शमशान बनो,

पीछे नहीं आगे देखो

नई शुरुआत करो।


मंजिल नहीं, कर्म बदलो

कुछ समझ ना आए,

तो गुरु का ध्यान करो

तुम मन की आवाज सुनो।


लहरों की तरह किनारों से टकराकर

मत लौट जाना फिर से सागर,

साहस में दम भरो फिर से

तुम मन की आवाज सुनो।


सपनों को देखकर आंखें बंद मत करो

कुछ काम करो,

सपनों को साकार करो

तुम मन की आवाज सुनो।


इम्तिहान होगा हर मोड़ पर

हार कर मत बैठ जाना किसी मोड़ पर,

तकदीर बदल जाएगी अगले मोड़ पर

तुम अपने मन की आवाज सुनो।

       - नरेंद्र वर्मा -

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In such a situation, negative energy is transmitted inside the person and there is a lack of motivation, because to make any person successful, there is a need to increase motivation and enthusiasm.

In such a situation, such poems can create the spirit of moving forward in a person and can help him in making him successful and happy. Some such great poets have written some inspirational words for us through poems, today we will share with you the same collection of inspirational poems – Motivational Poetry in Hindi 

3. गिरना भी अच्छा है | Motivational Poetry in Hindi

गिरना भी अच्छा है

औकात का पता चलता है,


बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को

अपनों का पता चलता है।


जिन्हे गुस्सा आता है

वो लोग सच्चे होते हैं,


मैंने झूठों को अक्सर

मुस्कुराते हुए देखा है।


सीख रहा हूँ मैं भी

मनुष्यों को पढ़ने का हुनर,


सुना है चेहरे पे

किताबो से ज्यादा लिखा होता है।

  - अमिताभ बच्चन -

Everyone has to face failure in life, but the one who continues his efforts even after failure becomes a real successful person, but if a person who is defeated by failure gets some inspirational words, then he needs to get out of despair. You get power.

In today's era, there are very few people who think about other's success and progress and feel good seeing others happy, otherwise most of the people try to humiliate the person in front and show themselves as the best. Just keep on trying.

4. चल तू अकेला | मोटिवेशनल कविताएँ हिंदी में

तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, 

तो तू चल अकेला,

चल अकेला, चल अकेला, 

चल तू अकेला।


तेरा आह्वान सुन कोई ना आए

तो चल तू अकेला,

जब सबके मुंह पे पाश।


ओरे ओरे ओ अभागी 

सबके मुंह पे पाश,

हर कोई मुंह मोड़के बैठे, 

हर कोई डर जाय!


तब भी तू दिल खोलके, 

अरे जोश में आकर

मनका गाना गूंज तू अकेला।


जब हर कोई वापस जाय,

ओरे ओरे ओ अभागी 

हर कोई बापस जाय।


कानन-कूचकी बेला पर 

सब कोने में छिप जाय।

 - रवीन्द्रनाथ ठाकुर -

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 5. कर्मवीर | प्रेरणात्मक कविताये

देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं

रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं,

काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नही

भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।


हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले

सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले,

आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही

सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही।


मानते जो भी है सुनते हैं सदा सबकी कही

जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही,

भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं

कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।


जो कभी अपने समय को यों बिताते है नहीं

काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं,

आज कल करते हुए जो दिन गँवाते है नहीं

यत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहीं।


बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिये

वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिये,

व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर

वे घने जंगल जहां रहता है तम आठों पहर।


गर्जते जल राशि की उठती हुई ऊँची लहर

आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लपट,

ये कंपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं

भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।

 - अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध -

6. नर हो, न निराश करो मन को | मोटिवेशनल हिन्दी पोएँम

नर हो, न निराश करो मन को

कुछ काम करो, कुछ काम करो,

जग में रह कर कुछ नाम करो

यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो,

समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो

कुछ तो उपयुक्त करो तन को,

नर हो, न निराश करो मन को


संभलो कि सुयोग न जाय चला

कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला,

समझो जग को न निरा सपना

पथ आप प्रशस्त करो अपना,

अखिलेश्वर है अवलंबन को

नर हो, न निराश करो मन को,


जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ

फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ,

तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो

उठके अमरत्व विधान करो,

दवरूप रहो भव कानन को

नर हो न निराश करो मन को,


निज गौरव का नित ज्ञान रहे

हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे,

मरणोत्‍तर गुंजित गान रहे

सब जाय अभी पर मान रहे,

कुछ हो न तज़ो निज साधन को

नर हो, न निराश करो मन को,


प्रभु ने तुमको दान किए

सब वांछित वस्तु विधान किए,

तुम प्राप्‍त करो उनको न अहो

फिर है यह किसका दोष कहो,

समझो न अलभ्य किसी धन को

नर हो, न निराश करो मन को,


किस गौरव के तुम योग्य नहीं

कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं,

जन हो तुम भी जगदीश्वर के

सब है जिसके अपने घर के,

फिर दुर्लभ क्या उसके जन को

नर हो, न निराश करो मन को,


करके विधि वाद न खेद करो

निज लक्ष्य निरन्तर भेद करो,

बनता बस उद्‌यम ही विधि है

मिलती जिससे सुख की निधि है,

समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को

नर हो, न निराश करो मन को,

कुछ काम करो, कुछ काम करो

      - मैथिलीशरण गुप्त -

7. पुष्प की अभिलाषा / Inspirational Poems in Hindi

चाह नहीं मैं सुरबाला के

गहनों में गूँथा जाऊँ,

चाह नहीं प्रेमी-माला में

बिंध प्यारी को ललचाऊँ,

चाह नहीं, सम्राटों के शव

पर, हे हरि, डाला जाऊँ,

चाह नहीं, देवों के शिर पर

चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ,

मुझे तोड़ लेना वनमाली

उस पथ पर देना तुम फेंक,

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने

जिस पथ जाएँ वीर अनेक।

- माखनलाल चतुर्वेदी -

8. वह प्रदीप जो दीख रहा है / Motivational Kavita in Hindi

वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है;

थककर बैठ गये क्या भाई, मंजिल दूर नहीं है।


चिनगारी बन गई लहू की

बूँद गिरी जो पग से,

चमक रहे, पीछे मुड़ देखो

चरण - चिह्न जगमग से,

शुरू हुई आराध्य-भूमि यह

क्लान्ति नहीं रे राही,

और नहीं तो पाँव लगे हैं

क्यों पड़ने डगमग से,

बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नहीं है,

थककर बैठ गये क्या भाई, मंजिल दूर नहीं है।


अपनी हड्डी की मशाल से

हॄदय चीरते तम का,

सारी रात चले तुम दुख

झेलते कुलिश निर्मम का,

एक खेय है शेष किसी विधि

पार उसे कर जाओ,

वह देखो, उस पार चमकता

है मन्दिर प्रियतम का,

आकर इतना पास फिरे, वह सच्चा शूर नहीं है,

थककर बैठ गये क्या भाई, मंजिल दूर नहीं है।


दिशा दीप्त हो उठी प्राप्त कर

पुण्य-प्रकाश तुम्हारा,

लिखा जा चुका अनल-अक्षरों

में इतिहास तुम्हारा,

जिस मिट्टी ने लहू पिया

वह फूल खिलायेगी ही,

अम्बर पर घन बन छायेगा

ही उच्छवास तुम्हारा,

और अधिक ले जाँच, देवता इतना क्रूर नहीं है,

थककर बैठ गये क्या भाई, मंजिल दूर नहीं है।

         - रामधारी सिंह "दिनकर" -

प्रेरक कविताएँ हमारे मनको उत्साह और प्रोत्साहन से भर देती हैं। 12 प्रेरणादायक कविताओं का संग्रह के इस ब्लॉग में भारत के महान कवियों द्वारा लिखित हिंदी में प्रेरक कविता दी गई है जो आपको तब प्रेरित करेगी जब आप अपने जीवन में निराश होंगे। महान लोगों की ये सबसे महत्वपूर्ण प्रेरक कविताएँ आपके जीवन को आनंद से भर देंगी और आपको सफलता की ओर ले जाएँगी। 

 9. नीर भरी दुख की बदली | Poem in Hindi Motivational

मैं नीर भरी दु:ख की बदली

स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,

क्रन्दन में आहत विश्व हंसा

नयनों में दीपक से जलते,

पलकों में निर्झरिणी मचली

मेरा पग-पग संगीत भरा,

श्वासों में स्वप्न पराग झरा

नभ के नव रंग बुनते दुकूल,

छाया में मलय बयार पली

मैं क्षितिज भॄकुटि पर घिर धूमिल,

चिंता का भार बनी अविरल

रज-कण पर जल-कण हो बरसी,

नव जीवन अंकुर बन निकली

पथ को न मलिन करता आना,

पद चिन्ह न दे जाता जाना

सुधि मेरे आगम की जग में,

सुख की सिहरन बन अंत खिली

विस्तृत नभ का कोई कोना

मेरा न कभी अपना होना,

परिचय इतना इतिहास यही

उमड़ी कल थी मिट आज चली

       - महादेवी वर्मा -

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 10. अग्निपथ | Motivational Poetry in Hindi

वृक्ष हों भले खड़े,

हों बड़े, हों घने,

एक पत्र छाँह भी

मांग मत, मांग मत, मांग मत

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।


तू न थकेगा कभी

तू न थमेगा कभी,

तू न मुड़ेगा कभी

कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।


यह महान दृश्य है

देख रहा मनुष्य है,

अश्रु, स्वेद, रक्त से

लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।

   - हरिवंशराय बच्चन -

11. मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी | Best Motivational Poem in Hindi

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं,

तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।


हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते 

मरुस्थल, पहाड़ चलने की चाह बढाते,

सच कहता हूं जब मुश्किलें ना होती हैं 

मेरे पग तब चलने में भी शर्माते,

मेरे संग चलने लगे हवायें जिससे 

तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो।


मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं,

तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।


अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूं 

मैं मर्घट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूं,

हूं आंख-मिचौनी खेल चला किस्मत से 

सौ बार मृत्यु के गले चूम आया हूं,

है नहीं स्वीकार दया अपनी भी 

तुम मत मुझपर कोई एहसान करो।


मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं,

तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।


शर्म के जल से राह सदा सिंचती है 

गति की मशाल आंधी में ही हंसती है,

शोलो से ही श्रिंगार पथिक का होता है 

मंजिल की मांग लहू से ही सजती है,

पग में गति आती है, छाले छिलने से 

तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो।


मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं,

तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।


फूलों से जग आसान नहीं होता है 

रुकने से पग गतिवान नहीं होता है,

अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगति भी 

है नाश जहां निर्मम वहीं होता है,

मैं बसा सुकून नव स्वर्ग, धरा पर जिससे 

तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो।


मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं,

तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।


मैं पन्थी तूफ़ानों मे राह बनाता

मेरा दुनिया से केवल इतना नाता,

वेह मुझे रोकती है अवरोध बिछाकर

मैं ठोकर उसे लगाकर बढ्ता जाता,

मैं ठुकरा सकूं तुम्हें भी हंसकर जिससे

तुम मेरा मन-मानस पाषाण करो।


मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं,

तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।

     - गोपालदास नीरज -

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12. काँटों में राह बनाते हैं | मोटिवेशनल कविता हिन्दी में

सच है, विपत्ति जब आती है

कायर को ही दहलाती है,

सूरमा नहीं विचलित होते

क्षण एक नहीं धीरज खोते,

विघ्नों को गले लगाते हैं

काँटों में राह बनाते हैं।


मुहँ से न कभी उफ़ कहते हैं

संकट का चरण न गहते हैं,

जो आ पड़ता सब सहते हैं

उद्योग-निरत नित रहते हैं,

शूलों का मूल नसाते हैं

बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।


है कौन विघ्न ऐसा जग में

टिक सके आदमी के मग में,

ख़म ठोंक ठेलता है जब नर

पर्वत के जाते पाव उखड़,

मानव जब जोर लगाता है

पत्थर पानी बन जाता है।


गुन बड़े एक से एक प्रखर

हैं छिपे मानवों के भितर,

मेंहदी में जैसी लाली हो

वर्तिका-बीच उजियाली हो,

बत्ती जो नहीं जलाता है

रोशनी नहीं वह पाता है।

- रामधारी सिंह "दिनकर"-

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1 Comments
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  1. Hi there, after reading this amazing post i am also delighted to share my knowledge here with friends.

    Check here more shayari.

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