महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है |
नमस्कार दोस्तों महाशिवरात्रि हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह भगवान शंकर का प्रमुख त्योहार है। वैसे तो हर महीने के चंद्रमास का 14वां दिन यानी अमावस्या के 1 दिन पहले का दिन शिवरात्रि होती है,
लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण-पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यह भगवान शिव और शक्ति के मिलन की रात है।
अपने आराध्य भगवान शंकर का आशीर्वाद पाने के लिए लोग इस दिन व्रत रखकर मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं।परंतु क्या आप जानते हैं कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है। और इसका आध्यात्मिक रूप से क्या महत्व है।
लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण-पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यह भगवान शिव और शक्ति के मिलन की रात है।
अपने आराध्य भगवान शंकर का आशीर्वाद पाने के लिए लोग इस दिन व्रत रखकर मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं।परंतु क्या आप जानते हैं कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है। और इसका आध्यात्मिक रूप से क्या महत्व है।
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव पहली बार प्रकट हुए थे। शिवजी का प्राकट्य अग्नि के शिवलिंग के रूप में हुआ था। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी शिवलिंग का पता लगाने के लिए हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने का प्रयास किए,
परंतु वह इसे देखने में सफल ना हो सके। तो वहीं दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह रूप में शिवलिंग का आधार जानने की कोशिश कर रहे थे, किंतु उन्हें भी किसी तरह का कोई आधार नहीं मिला। क्योंकि वह ऐसा शिवलिंग था जिसका ना तो आदि था और ना कोई अंत
परंतु वह इसे देखने में सफल ना हो सके। तो वहीं दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह रूप में शिवलिंग का आधार जानने की कोशिश कर रहे थे, किंतु उन्हें भी किसी तरह का कोई आधार नहीं मिला। क्योंकि वह ऐसा शिवलिंग था जिसका ना तो आदि था और ना कोई अंत
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब अमृत का उत्पादन करने के लिए समुद्र मंथन हो रहा था, जिसे देवता और दैत्य दोनों मिलकर कर रहे थे। समुद्र मंथन में अमृत से पहले हलाहल विष निकला,
इसमें पूरे ब्रह्मांड को नष्ट करने की क्षमता थी और इसे सिर्फ भगवान शिव ही नष्ट कर सकते थे। इसलिए शिव जी उस हलाहल विष को पी गए परंतु, उन्होंने उसे निगला नहीं,
जिसके प्रभाव से उनका गला नीला हो गया। तब से ही शिवजी को नीलकंठ भी कहा जाने लगा, इस प्रकार भगवान शिव ने पूरी दुनिया को बचाया। तब से ही ऐसे आलौकिक और अद्भुत कार्य की याद में महाशिवरात्रि मनाई जाती है
इसमें पूरे ब्रह्मांड को नष्ट करने की क्षमता थी और इसे सिर्फ भगवान शिव ही नष्ट कर सकते थे। इसलिए शिव जी उस हलाहल विष को पी गए परंतु, उन्होंने उसे निगला नहीं,
जिसके प्रभाव से उनका गला नीला हो गया। तब से ही शिवजी को नीलकंठ भी कहा जाने लगा, इस प्रकार भगवान शिव ने पूरी दुनिया को बचाया। तब से ही ऐसे आलौकिक और अद्भुत कार्य की याद में महाशिवरात्रि मनाई जाती है
महाशिवरात्रि का महत्व
यह वह दिन है जब भगवान शिव कैलाश पर्वत पर एकात्म हुए थे। इस दिन लोग व्रत रखते हैं जप और तप करते हैं, और इस पावन पर्व पर शिवालयों में दूध, दही, बेलपत्र, शर्करा, आदि से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। यह बाबा भोलेनाथ जी को प्रसन्न करने का पर्व है।
Jay mahakal. nice article bhai
ReplyDeleteJay mahakal. nice article bhai
ReplyDeleteBahut hi badhiya jankari bro
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