अभिमानी पहाड़

moral story in Hindi
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एक किसान के घर के सामने कई पीढ़ियों से खड़े पर्वत ने अभिमान पूर्वक चुनौती दी--की इस दुनिया में कोई माई का लाल है जो मुझे अपने स्थान से हटा सके|पर्वत की अभिमान से भरी आवाज कई लोगों ने सुनी और सुनकर अनसुनी कर दी लेकिन सामने वाले मकान में बैठे एक बूढ़े किसान ने सोचा-- अगर पहाड़ इस स्थान से हट जाए तो कई बीघे जमीन खेती के लिए निकल आती है जिससे मेरे बच्चों का पालन पोषण अच्छे से होता|  उसने दाढ़ी पर हाथ फेरा, और अपने बेटों को आवाज लगाई| पिता की आवाज सुनकर सब लड़के और पोते घर से बाहर निकल कर आए और बोले-- कहिए पिताजी क्या आज्ञा है ?बूढ़े किसान में संकेत करते हुए कहा-- बच्चों !वह जो पहाड़ दिखाई दे रहा है ना देखो कितनी जमीन घेरे खड़ा है| यदि हम सब कोशिश करें तो उसे अपने स्थान से हटा सकते हैं |इसके लिए दो-चार दिन ही नहीं जब तक वह हट ना जाए हम चैन से नहीं बैठेंगे |और इस पहाड़ को खोद कर समतल भूमि निकाल सकते हैं|बूढ़े किसान की उत्साह से भरी बातें सुनकर उन्होंने कहा-- हां पिताजी! हम इस पहाड़ को जरूर हटा सकते हैं,बूढ़े किसान ने कहा तो फिर विलंब ना करो, चलो अभी से जुट जाओ --बूढ़े किसान ने विजय की कामना करते हुए लड़कों से कहा| सारे लड़के फावड़ा और कुदाल लेकर जुट गए परंतु अब समस्या यह आ गई कि इतना बड़ा पहाड़ खोदकर फेंका कहां जाए|बूढ़ा किसान उन्हें हतोत्साहित होते देखा तो बोला-- अरे थोड़ा चलना ही तो पड़ेगा हम समुद्र में ऐसे-ऐसे हजारों पहाड़ से सकते हैं|बच्चे अब दुगने उत्साह से पहाड़ खोदने में जुट गए और उस अभिमानी पहाड़ को खोदकर समुद्र में फेंक डाला
कहानी से शिक्षा------ कोई भी कार्य असंभव नहीं होता यदि उसे करने का दृढ़ निश्चय कर लिया जाए तो हम वह कार्य अवश्य कर सकते हैं 

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