chamki bukhar |
बिहार का मुजफ्फरनगर चमकी नाम के बुखार की वजह से पूरे देश में चर्चा में है चमकी बुखार की चपेट में आकर बहुत से बच्चे अपनी जिंदगी खो चुके हैं इस बुखार से अब तक सैकड़ों मासूम बच्चे अपनी जान गवां चुके हैं एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम(AES)जिसे लोग चमकी बुखार का नाम दिए हैं यह एक तरह का मस्तिष्क ज्वर है 1 से 8 साल की उम्र के बच्चे इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण से वह इसकी चपेट में आसानी से आ जाते हैं
यह बीमारी गर्मी के मौसम में 0 से 15 साल के बच्चों को अपनी चपेट में ले सकती है और यह बीमारी अधिकतर कुपोषित बच्चों को अपनी चपेट में लेती है चमकी बुखार का कारण लीची खाना भी बताया जा रहा है एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम(AES)को आम भाषा में चमकी बुखार कहते हैंयह एक संक्रामक बीमारी है इसका वायरस शरीर में पहुंचने के पश्चात खून में शामिल होकर प्रजनन शुरू कर देता है और जैसे-जैसे वायरस की संख्या में बढ़ोतरी होती है तो ये खून के साथ मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और कोशिकाओं में सूजन शुरू हो जाती है कई मामलों में इसका कारण लीची खाना बताया गया है दरअसल लीची में पाया जाने वाला तत्व हाइपोग्लाइसीन ए(hypoglycin A) मिथाइलीनसाइक्लोप्रोपाइल ग्लाइसीन(methylenecyclopropyl glycine) (MPCG) है जो शरीर में फैटी एसिड मेटाबॉलिज़म को बनाने में बाधा उत्पन्न करते हैं जिसकी वजह से शरीर में शुगर और सोडियम की कमी हो जाती है
जाने क्या है चमकी बुखार के लक्षण
चमकी बुखार आने पर बच्चे को तेज बुखार रहता है, बच्चे के पूरे शरीर में ऐठन होती है, कमजोरी की वजह से बच्चा बार बार बेहोश हो जाता है, बच्चे दांत पर दांत चढ़ाए रहते हैं बच्चे का शरीर सुन्न हो जाता है, व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है बोलने और सुनने में परेशानी होती है, उसकी याददाश्त कमजोर होने लगती है ,और गंभीर हालत में लकवा मार जाना या कोमा की भी स्थिति हो सकती है
जाने, बुखार आने पर क्या करना चाहिए
- अगर बच्चे को तेज बुखार आ रहा है तो उसके पूरे शरीर को गीले कपड़े से पोछते रहे इससे बुखार सिर पर नहीं चढ़ पाएगा
- बेहोशी के लक्षण आने पर बच्चे को हवादार कमरे में लेकर जाएं
- बच्चे को ORS का घोल पिलाएं ताकि उसके शरीर में पानी की कमी ना हो
- बच्चे का गर्मी और धूप से बचाव करें
- उसकी गर्दन को सीधा रखें
- चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को तुरंत अस्पताल पहुंचाना चाहिए
- डॉक्टर द्वारा बच्चे का हर्ट रेट, ब्लड प्रेशर, और स्वास की जांच कराते रहना जरूरी है
- बच्चे को खाली पेट लीची ना खिलायें
- खाना खाने से पहले बच्चे का हाथ जरूर धूलवायेँ
- बच्चे के पास किसी प्रकार की गंदगी ना रहने दें
- बच्चे को जूठा और सड़ा फल ना खिलाए
- बच्चे को धूप में ना खेलने दे
- बच्चे को हमेशा साफ पानी पिलाएं
- रात को बिना कुछ खिलाएं बच्चे को ना सोने दे
Ye chamki bukhar cheen ka virus hai
ReplyDeleteachcha sir
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